Search This Blog

Tuesday, September 13, 2011

देशसेवा के नाम पर दिखावा


देशसेवा के नाम पर दिखावा
अन्ना की लोकप्रियता से प्रेरित होकर अब हमारे देश के नेताओं ने भ्रष्टाचार को मिटने और विकास को बढ़ाने के लिए भावात्मक हत्कंडे अपनाने शुरू कर दिए हैं. भाजपा के मुख्य नेता लाल कृष्ण अडवाणी भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए रथ यात्रा आरम्भ करने जा रहे हैं तो वही दूसरी ओर उनके सबसे कामयाब शागिर्द नरेन्द्र मोदी १७ सितम्बर से दिन का उपवास रखने की तयारी में जुटे हैं.

हमने अक्सर अपने नेताओं को कहते सुना है की हमारा देख विकास की राह पर अग्रसर है और हमें अन्धविश्वास में नहीं बल्कि कर्म में विश्वास रखना चाहिए. लेकिन लगता है की अब हमारे नेता हमारे महान कहे जाने वाले भारत वर्ष को वापस अन्धविश्वास और अकर्मठता की राह पर ले जा रहे हैं और देश के युवा वर्ग से ये अपेक्षा कर रहे हैं की वो इनके इस लालच से भरे दिखावे में उनका ह्रादयपूर्वक समर्थन करें.

इन कर्मकांडो और दिखावों में सिर्फ समय और धन की बर्बादी होती है बल्कि देश के जीवनस्त्रोंतों की भी हाँनी होती है. इसके अतिरिक्त देश की जनता को एक गलत राह मिल जाती है जिस पर वो अग्रसर होकर अपना और अपनी आने वाली पीढ़ियों का जीवन समर्पित कर देना चाहते हैं और खुद को ऐसा करके वो अपने आप को बहुत बड़ा देशवासी मानते हैं.

कभी विचार करके देखिये की एक राजनैतिक दल के पास इतना धन कहाँ से आता है की वो एक देशव्यापी रथयात्रा या किसान महापंचायत निकल सकें. ये धन वो अपनी माँ के पेट से लेकर पैदा नहीं हुए हैं और ही उन्हें विरासत में मिला है, बल्कि ये धन आम जनता की जेबें काट कर और डरा धमका कर इकठ्ठा किया गया है.

ये सब कुछ वो अकेले कभी संभव नहीं कर सकते, पर इसके लिए जन समूह को एकत्र करना कोई कठिन कार्य नहीं है, क्योंकि हमारे राष्ट्र में निकम्मों और अंधविश्वासियों कि कोई कमी नहीं है. यहाँ ऐसे लोग हैं जो काम करना तो नहीं चाहते पर कई घंटे पूजा पाठ मं लगा सकते हैं. ऐसे लोग जो किसी गरीब को खाना नहीं खिला सकते पर मंदिरों, मस्जिदों और गुरुद्वारों में लाखों दान कर सकते हैं. ऐसे लोग जो किसी अपाहिज को रास्ता दिखाने से कतराते हैं पर पुजारियों और बाबाओं के पैरों को धो धो कर पीने में अपने आप को देश और समाज का बहुत बड़ा सेवक मानते हैं. ये लोग ऐसे ही लोगों का सहारा लेकर देश और समाज को खोखला कर रहे हैं और देश के धन और संपत्ति को बर्बाद कर रहे हैं.

क्या कभी आपने सुना कि किसी राजनैतिक संगठन ने किसी अपाहिज, गरीब कि मदद कि हो या कोई एन जी खोल कर सकारात्मक रूप से देश और जनता कि सेवा की हो. ये सब कुछ ये लोग अपना निकम्मापन छुपाने और लोगों की वाह-वाही लूटने के लिए कर रहे हैं. परन्तु यदि आप मेरे द्रष्टिकोण से देखेंगे तो आपको इनकी इन हरकतों से इनका निकम्मापन और भी उभरता हुआ नज़र आएगा.

यदि देश में येही सब चलता रहा तो  वो दिन दूर नहीं जब देश में देशसेवा और विकास के नाम पर सिर्फ यज्ञ, रथयात्राएं और उपवास हुआ करेंगें और चुनावों में अच्छा नेता इस आधार पर चुना जायेगा कि किसने कितने दिखावे(कर्मकांड) किये हैं.

आशा है आप मेरी इस विचारधारा को समझेंगे और इस निकम्मेपन में इन निकम्मे और भ्रष्ठ राक्षसों का साथ नहीं देंगे.

No comments:

Post a Comment